Arsenic album
कोरोना वायरस: क्या होम्योपैथी में इसका इलाज है?
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वैकल्पिक
इलाज की पद्धतियों और
दवाओं को बढ़ावा देने
वाले सरकारी आयुष मंत्रालय ने
कहा है कि उन्होंने
कभी भी ये दावा
नहीं किया कि होम्योपैथी
में कोरोना वायरस कोविड 19 का "इलाज" है.
लेकिन
इसके बावजूद भारत में इंटरनेट
के ज़रिए ऐसे संदेश लगातार
फैल रहे हैं जिनमें
दावा किया जा रहा
है कि कोरोना वायरस
से निपटने के लिए वैकल्पिक
दवाएँ कारगर हैं.
भारत
सरकार का आयुष मंत्रालय
(आयुर्वेद, योग एवं प्राकृतिक
चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध एवं होम्योपैथी मंत्रालय)
पारंपरिक और वैकल्पिक दवाओं
को बढ़ावा देता है.
आयुष
मंत्रालय ने इसी साल
29 जनवरी को एक प्रेस
विज्ञप्ति जारी की जिसमें
कहा गया था कि
कोरोना वायरस के लक्षणों के
उपचार के लिए होम्योपैथी
में दवाएँ हैं.
क्या
कहा था आयुष मंत्रालय
ने?
मंत्रालय
की 29 जनवरी को जारी की
गई प्रेस विज्ञप्ति का शीर्षक था
"कोरोना वायरस संक्रमण के लक्षणों को
रोकने में होम्योपैथी, यूनानी
चिकित्सा उपयोगी".
इसमें
सलाह दी गई थी
कि कोरोना वायरस से बचने के
लिए स्वच्छता का ख़ास ख़याल
रखना ज़रूरी है. साथ ही
संक्रमण से बचने के
लिए होम्योपैथी की आर्सेनिकम एल्बम
30 दवा लेने की सलाह
भी दी गई थी.
होम्योपैथिक
का सिद्धांत कहता है कि
यदि अत्यधिक पानी के साथ
खाने की कोई चीज़
इंसान के पेट में
पहुंचती है तो उसकी
"मेमोरी" शरीर की रोग
प्रतिरक्षा प्रक्रिया को शुरु कर
सकती है. आयुष मंत्रालय
ने जिस 30सी डाइल्यूशन की
बात की थी उसके
अनुसार आमतौर पर पेट में
पहुंचने पर आर्सेनिकम के
अणु शून्य हो जाएंगे.
आर्सेनिक
ट्राइऑक्साइड को अधिक डाइल्यूट
करने पर आर्सेनिकम मिलता
है. होम्योपैथी में कई लक्षणों
के इलाज के लिए
इसका इस्तेमाल होता है.
चूंकि
30सी डाइल्यूशन के बाद आर्सेनिकम
मिलता है इसलिए इसमें
आर्सेनिक का कोई वास्तविक
अणु नहीं होता और
इस कारण इसे मुख्यधारा
द्वारा सुरक्षित लेकिन अप्रभावी माना जाता है.
मंत्रालय
की प्रेस विज्ञप्ति की आलोचना होने
के बाद आयुष मंत्री
श्रीपद नाइक ने पिछले
सप्ताह कहा था कि
विज्ञप्ति केवल "उन दवाओं के
नाम बताती है जो शरीर
की रोग प्रतिरोधक क्षमता
को बढ़ा सकते हैं.
कभी भी ऐसा दावा
नहीं किया गया है
कि इससे कोरोना वायरस
का विषाणु ख़त्म हो सकता है."
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मंत्रालय
का कहना है कि
"सामान्य संदर्भ" में सलाह के
तौर पर विज्ञप्ति जारी
की गई थी और
ये बीमारी के इलाज के
बारे में नहीं थी.
बाद
में 4 फरवरी को सरकार की
तरफ से एक और
प्रेस विज्ञप्ति जारी की गई
जिसमें कहा गया कि
"मीडिया और चिकित्सा
संगठनों में कुछ ऐसी
रिपोर्टें आई हैं जो
आयुष मंत्रालय की छवि ख़राब
करती हैं और इन
चिकित्सा पद्धतियों के
ख़िलाफ़ लोगों में अविश्वास
फैलाती हैं."
इसमें
कहा गया कि "मंत्रालय
की तरफ से जारी
सलाह कोरोना वायरस के प्रभावी इलाज
का न तो दावा
करते हैं और न
ही कोरोना वायरस से लड़ने के
लिए किसी ख़ास दवा
का सुझाव देते हैं."
लेकिन
देर से आए इस
स्पष्टीकरण की द हिंदू
अख़बार ने आलोचना की.
अख़बार ने कहा कि
पहले जारी की गई
प्रेस विज्ञप्ति "बेहद ग़ैर-ज़िम्मेदाराना
थी".
अख़बार
ने कहा कि "खुद
से दवा लेकर खुद
का इलाज करने का
मतलब है कि संक्रमित
व्यक्ति के बारे में
किसी को पता नहीं
चल पाएगा और वायरस के
एक व्यक्ति से दूसरों में
फैलने की संभावनाएं बढ़
जाएंगी."
© APBLIVE
व्हाट्सएप
पर आ रहे वायरल
मैसेज
लेकिन
इस स्पष्टीकरण के बावजूद प्रेस
विज्ञप्ति से ली गई
आधी अधूरी जानकारी को भारतीय सोशल
मीडिया पर लोग बड़ी
संख्या में शेयर कर
रहे हैं.
व्हाट्सएप
पर कई लोग ये
मैसेज इस सुझाव के
साथ शेयर कर रहे
हैं कि वैकल्पिक दवाएं
कोरोना वायरस कोविड 19 का इलाज कर
सकती हैं.
इन वायरल मैसेजेस को देखते हुए
भारतीय फैक्ट-फाइंडिंग वेबसाइट BOOM ने इसी सप्ताह
कहा कि उन्हें "इस
सिद्धांत के समर्थन में
अब तक कोई वैज्ञानिक
शोध नहीं मिला है
कि होम्योपैथी की ये गोलियां
कोरोना वायरस कोविड 19 को फैलने से
रोकने में मदद कर
सकती हैं."
द लॉजिकल इंडियन ने सोशल मीडिया
पर वायरल हो रहे मैसेजेस
की पड़ताल की. उन्होंने पाया
कि व्यापक रूप से सोशल
मीडिया इस्तेमाल करने वालों ने
मंत्रालय के संदेश को
गलत समझा था.
वेबसाइट
का कहना था कि
"आर्सेनिकम एल्बम 30 का कभी कोरोना
वायरस संक्रमण को कम करने
या रोकने के लिए परीक्षण
नहीं हुआ है और
ऐसा किसी जांच में
सिद्ध हुआ है."
© Reuters
कोरोना
वायरस कोविड 19 का न तो
अब तक कोई इलाज
मिल सका है और
न ही इससे निपटने
के लिए अब तक
कोई टीका बना है.
डॉक्टर और वैज्ञानिक इसकी
दवा इजाद करने के
शोध में जुटे हैं.
इसके
इतर, भारतीय मीडिया में इस तरह
की ख़बरें छपी थीं कि
हाल में बीमारियों के
होम्योपैथिक इलाज की मांग
बढ़ी है.
इंडियन
एक्सप्रेस अख़बार में छपी एक
रिपोर्ट के अनुसार कि
भारत के दक्षिणी तेलंगाना
राज्य में 3,500 लोगों को होम्योपैथी की
11,500 खुराक बांटी गई.
दवा
वितरण के एक कार्यक्रम
के दौरान न्यूज़ मिनट वेबसाइट से
बात करते हुए एक
चिकित्सा अधिकारी ने कहा "ये
गोलियां सिर्फ कोरोना वायरस के लिए ही
नहीं बल्कि सभी प्रकार के
इन्फ्लूएंजा (सर्दी ज़ुक़ाम) के लिए हैं.
एक वायरस की ताकत दूसरे
वायरस के अलग होती
है और ये दवा
इलाज के लिए नहीं
है बल्कि केवल रोकथाम के
लिए है."
हालांकि
कोरोना वायरस या इसके इलाज
के बारे में स्पष्ट
जानकारी न होने और
लोगों में जागरूकता की
कमी होने से कई
लोग इसके इलाज के
लिए होम्योपैथिक की दवाएं लेने
के लिए तैयार थे.
एक व्यक्ति ने न्यूज़ मिनट
के संवाददाता को बताया "कोरोनो
वायरस के बारे में
अनेक भ्रांतियां फैली हैं. मुझे
लगता है कि हम
पूरी तरह तैयार रहें
तो बेहतर होगा. वैसे भी लोग
कह रहे हैं कि
इस के कोई साइड
इफेक्ट नहीं है."
© EPA
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